आज वक्त की गांठ क्या टुटी, मोती से सारे बिखर गए हम कभी दुहराए ये कल खुदको तो, फिर कहीं हम मिलकर गुलजार होंगे। बातें होंगी कई अनकही, कुछ आंसु भी छलकने को बेताब होंगे। कभी तस्वीरें दिखेंगी कुछ धुंधली सी यादों में, तो कभी हम अकेले बैठ मुस्काते होंगे। थोङा बाटेंगे इस सफर को हम लब्जों से, तो थोड़ा खुद के लिए छिपते होंगे। कुछ युं ही लिखेंगे हम उन यारों की कहानी, तो कुछ वो यार गुनगुनाते होंगे। वो तो इन अश्कों की बनती नहीं आज-कल आंखों से, वरना बिछङने से पहले, बिते कल के किस्से हम गले मिल दुहराते होंगे ॥ ©Saurav Ranjan might my words not be the perfect but those words are.... #moonbeauty