हम बीमार का हाल क्या बताएं । दिल में भी है मलाल क्या बताएं । जैसे हालात थे वैसे हालात नहीं । हैं सवाल ही सवाल क्या बताएं । टूट जाती हैं फंदे की रस्सियां । हो गया जीना मुहाल क्या बताएं । आया है मुसाफिर शहर में जबसे । आता नहीं ख़्याल क्या बताएं । ख़रीद नहीं पाता मोहब्बतों को । जेबें हो गई हैं कंगाल क्या बताएं । होने लगी बारगाहें जबसे छत पर । दिखता नहीं हिलाल क्या बताएं । उसके जाने का अफ़सोस न रहा । क़रीब आ गया ज़वाल क्या बताएं । दो-चार दिन की यादें बची रह गई । हाय! ये कैसा है बवाल क्या बताएं । ©Darshan Raj #a #gazal #nazm #bazm_e_nazm #bazm_e_urdu #Darshan_Raj #Shayar #shayri #rekhta #Nojoto बारगाहें=दरबार, सदन ,राजसभा हिलाल=छोटा चांद या नन्ना चांद ज़वाल=अंतिम क्षण, अंत, जाने का समय