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आंखें तुम भी मुझसे चार करलो। अपनी ज़ुल्फों में गिरफ

आंखें तुम भी मुझसे चार करलो।
अपनी ज़ुल्फों में गिरफ्तार करलो।।

अब तुमको अपना मुझे बनाना है।
तुम सनम मुझपे ऐतबार करलो।।

आऊंगा लौट कर तेरे ही जानिब।
कुछ पल और मेरा इंतेज़ार करलो।।

 देखनी हो दुनिया मे अगर ज़न्नत।
बस अपनी  माँ का  दीदार करलो।।

चाहिए अगर तुमको  सुकून ए दिल।
उसके आंखों का दरिया पर करलो ।।

"सानी" अब इश्क की बका के लिए।
दिल को ग़म का बाजार करलो।।
(Saani) ग़ज़ल
आंखें तुम भी मुझसे चार करलो।
अपनी ज़ुल्फों में गिरफ्तार करलो।।

अब तुमको अपना मुझे बनाना है।
तुम सनम मुझपे ऐतबार करलो।।

आऊंगा लौट कर तेरे ही जानिब।
कुछ पल और मेरा इंतेज़ार करलो।।

 देखनी हो दुनिया मे अगर ज़न्नत।
बस अपनी  माँ का  दीदार करलो।।

चाहिए अगर तुमको  सुकून ए दिल।
उसके आंखों का दरिया पर करलो ।।

"सानी" अब इश्क की बका के लिए।
दिल को ग़म का बाजार करलो।।
(Saani) ग़ज़ल
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Saani

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