मुसाफ़िर ही तो था छोड़कर चला ही गया, वो आइना देखकर फिर संवरते क्यों हैं? कच्चे धागे सी नाजुक हैं भरोसे की डोरें, लोग इसी मुकाम पर आकर फिर फिसलते क्यों हैं? पलट जाना भी होता है मुसाफ़िर को हमेशा रास्ता मंज़िल पे ले ही जाए ज़रूरी तो नहीं होता। #पलटआ #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi