आज फिर, आज फिर मैं तुम्हारी राह तकता, रह गया दिन भर.. आज फिर तुम नहीं आई, हमेशा की तरह छत पर.. आज फिर यूं ही तन्हा बैठ कर, लेता रहा मैं कश.. बन गई तस्वीर धुएं में तेरी, होता रहा मैं खुश.. कुछ ही देर में ओझल हुई, आंखों से मेरे तुम.. धुआं था उड़ गया पल में,और मैं हो गया गुमसुम.. तुम्हे फिर देखने की तलब ने, एक सिगरेट और जला दी.. बनाई फिर धुएं से तस्वीर तेरी, अगले पल फिर मिटा दी.. आज फिर इस कदर मैने, अपने दिल को समझाया.. वो अब कभी न आएगी, हकीकत से रूबरू करवाया.. मगर ये दिल नहीं माना, ये था बस तेरा दीवाना.. इसका बस एक ही मकसद था, तेरे प्यार को पाना.. आज फिर बेरुखी मिली तेरी और टूट गया ये दिल.. अब अगर आ भी जाओ तुम नहीं पाओगी मुझसे मिल.. ✍️©H!न$@✍️ #आज_फिर