जीवन की है डगर कठिन, धीमे - धीमे डग भरना है। बाधाओं के आने पर भी, धीमे ही सही पर चलना है । जीवन की है डगर कठिन, धीमे धीमे डग भरना है । हो घोर तिमिर से राह कठिन, सत का पथ हो जब दृश्य नहीं। तब उजियारा छा जाने तक, सत - दीप प्रज्वलित करना है। बाधाओं के आने पर भी, धीमे ही सही पर चलना है। हो मृषा-जाल का दृढ़ बंधन, सच कहने में हो बाधाएं। हमें धैर्य, धीर और साहस से सच को ही सच कहना है। बाधाओं के आने पर भी, धीमे ही सही पर चलना है। जब लक्ष्य साध कर चला पथिक और राह लक्ष्य का ना हो तो, नव - पथ, नव - राह बनाने को संकल्प सृजन का करना है। बाधाओं के आने पर भी, धीमे ही सही पर चलना है। निरंतर