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नहीं फुर्सत यकीं मानो हमें कुछ और करने की, तेरी या

नहीं फुर्सत यकीं मानो हमें कुछ और करने की,
तेरी यादें तेरी बातें बहुत मसरूफ़ रखती हैं।
सरहदें तोड़ के आ जाती है किसी पंछी की तरह,
ये तेरी याद है जो बंटती नहीं मुल्कों की तरह।
तेरे ग़म में भी नायाब खजाना ढूँढ़ लेते हैं,
हम तुझे याद करने का बहाना ढूँढ़ लेते हैं।
अभी मशरूफ हूँ काफी कभी फुर्सत से सोचूंगा,
कि तुझको याद रखने में मैं क्या-क्या भूल जाता हूँ।
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©अ..से..(अखिलेश).$S....'''''''''!
  Ab Ek Hi Kam bacha hai Tumhen Yad karna/..🙎

Ab Ek Hi Kam bacha hai Tumhen Yad karna/..🙎 #लव

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