Nojoto: Largest Storytelling Platform

एक बिजली के पोल पर एक पर्ची लगी देख कर मैं करीब गय

एक बिजली के पोल पर एक पर्ची लगी देख कर मैं करीब गया और लिखी तहरीर पढ़ने लगा 
लिखा था 
कृपया ज़रूर पढ़ें 
इस रास्ते पर कल मेरा पचास रुपये का नोट गिर गया है, मुझे ठीक से दिखाई नहीं देता ,जिसे भी मिले कृपया पहुंचा दे.....!!!!
 
पता +++.....***.......
*****......****.....####...

ये तहरीर पढ़ने के बाद मुझे बहुत हैरत हुई कि पचास का नोट किसी के लिए जब इतना ज़रूरी है तो तुरंत दर्ज पते पर पहुंच कर आवाज़ लगाई तो एक बूढ़ी औरत बाहर निकली,पूछने पर मालूम हुआ कि बड़ी बी अकेली रहती हैं.. मैंने कहा,, मां जी ,, आपका खोया हुआ नोट मुझे मिला है ...उसे देने आया हूं 

ये सुनकर बड़ी बी रोते हुए कहने लगीं 

बेटा.....!  
अब तक करीब 70/75 लोग मुझे पचास का नोट दे गए हैं!  
मैं अन पढ़, अकेली हूं और नज़र भी कमज़ोर है.. पता नहीं कौन बंदा मेरी इस हालत को देखकर मेरी मदद के लिए वो पर्ची लगा गया है 

बहुत ज़िद करने पर बड़ी बी ने नोट तो ले लिया लेकिन एक विनती भी कर दी कि बेटा... जाते हुए वो पर्ची ज़रूर फाड़ कर फेंक देना!! 

मैंने हां तो कर दिया लेकिन मेरे ज़मीर ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि इससे पहले भी सभी लोगों से बुढ़िया ने वो पर्ची फाड़ने के लिए कहा होगा मगर जब किसी ने नहीं फाड़ा तो मैं क्यों फाड़ूं 
फिर मैं उस आदमी के बारे में सोचने लगा कि वो कितना दिलदार रहा होगा जिसने मजबूर औरत की मदद के लिए ये रास्ता तलाश कर लिया ..मैं उसे दुआयें देने पर मजबूर हो गया 

किसी की मदद करने के तरीक़े बहुत हैं.. बस नीयत होनी चाहिए
#वास्तविक_कहानी #Cpd

©शायर अलाउद्दीन मैं भी मददगार बनुंगा
एक बिजली के पोल पर एक पर्ची लगी देख कर मैं करीब गया और लिखी तहरीर पढ़ने लगा 
लिखा था 
कृपया ज़रूर पढ़ें 
इस रास्ते पर कल मेरा पचास रुपये का नोट गिर गया है, मुझे ठीक से दिखाई नहीं देता ,जिसे भी मिले कृपया पहुंचा दे.....!!!!
 
पता +++.....***.......
*****......****.....####...

ये तहरीर पढ़ने के बाद मुझे बहुत हैरत हुई कि पचास का नोट किसी के लिए जब इतना ज़रूरी है तो तुरंत दर्ज पते पर पहुंच कर आवाज़ लगाई तो एक बूढ़ी औरत बाहर निकली,पूछने पर मालूम हुआ कि बड़ी बी अकेली रहती हैं.. मैंने कहा,, मां जी ,, आपका खोया हुआ नोट मुझे मिला है ...उसे देने आया हूं 

ये सुनकर बड़ी बी रोते हुए कहने लगीं 

बेटा.....!  
अब तक करीब 70/75 लोग मुझे पचास का नोट दे गए हैं!  
मैं अन पढ़, अकेली हूं और नज़र भी कमज़ोर है.. पता नहीं कौन बंदा मेरी इस हालत को देखकर मेरी मदद के लिए वो पर्ची लगा गया है 

बहुत ज़िद करने पर बड़ी बी ने नोट तो ले लिया लेकिन एक विनती भी कर दी कि बेटा... जाते हुए वो पर्ची ज़रूर फाड़ कर फेंक देना!! 

मैंने हां तो कर दिया लेकिन मेरे ज़मीर ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि इससे पहले भी सभी लोगों से बुढ़िया ने वो पर्ची फाड़ने के लिए कहा होगा मगर जब किसी ने नहीं फाड़ा तो मैं क्यों फाड़ूं 
फिर मैं उस आदमी के बारे में सोचने लगा कि वो कितना दिलदार रहा होगा जिसने मजबूर औरत की मदद के लिए ये रास्ता तलाश कर लिया ..मैं उसे दुआयें देने पर मजबूर हो गया 

किसी की मदद करने के तरीक़े बहुत हैं.. बस नीयत होनी चाहिए
#वास्तविक_कहानी #Cpd

©शायर अलाउद्दीन मैं भी मददगार बनुंगा

मैं भी मददगार बनुंगा