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...... स्कूल के दिनों में पेपर आधा हिंदी आधा

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     स्कूल के दिनों में पेपर आधा हिंदी आधा अंग्रेजी में देकर आती थी मैं, मालूम होने के बावजूद के पेपर पूरी क्लास के सामने चेक होगा और एक एक क्वेश्चन के आंसर के लिए जलील किया जायेगा, परन्तु मुझसे सीखनी होती थी अंग्रेजी और करनी होती थी अंग्रेजी में चटर - पटर, अपने एरिया की पहली थी मैं महीनों मार - कुटाई खाने के बाद नवोदय में सात सालों के लिए हो गयी थी बंद,.

    मुझे पसंद था रात को पढ़ना, कोने वाली लाइट रहती थी हमेशा ओन मुझे लगता था अंधेरा से डर और घर से दूर रह कर नहीं आती थी नींद,. किसी दिन सिराह
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     स्कूल के दिनों में पेपर आधा हिंदी आधा अंग्रेजी में देकर आती थी मैं, मालूम होने के बावजूद के पेपर पूरी क्लास के सामने चेक होगा और एक एक क्वेश्चन के आंसर के लिए जलील किया जायेगा, परन्तु मुझसे सीखनी होती थी अंग्रेजी और करनी होती थी अंग्रेजी में चटर - पटर, अपने एरिया की पहली थी मैं महीनों मार - कुटाई खाने के बाद नवोदय में सात सालों के लिए हो गयी थी बंद,.

    मुझे पसंद था रात को पढ़ना, कोने वाली लाइट रहती थी हमेशा ओन मुझे लगता था अंधेरा से डर और घर से दूर रह कर नहीं आती थी नींद,. किसी दिन सिराह
alpanabhardwaj6740

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स्कूल के दिनों में पेपर आधा हिंदी आधा अंग्रेजी में देकर आती थी मैं, मालूम होने के बावजूद के पेपर पूरी क्लास के सामने चेक होगा और एक एक क्वेश्चन के आंसर के लिए जलील किया जायेगा, परन्तु मुझसे सीखनी होती थी अंग्रेजी और करनी होती थी अंग्रेजी में चटर - पटर, अपने एरिया की पहली थी मैं महीनों मार - कुटाई खाने के बाद नवोदय में सात सालों के लिए हो गयी थी बंद,. मुझे पसंद था रात को पढ़ना, कोने वाली लाइट रहती थी हमेशा ओन मुझे लगता था अंधेरा से डर और घर से दूर रह कर नहीं आती थी नींद,. किसी दिन सिराह