तुम्हारा होना तुम्हारे ना होने से ज्यादा अब उलझा सवाल लगता है शायद इसलिए मैने कभी तुम्हें ढुंढना नहीं चाहा बल्कि खुद खोने का नाटक किए हुए रहा ताकि एक दिन तुम्हारी ऑंखें मुझे ढूंढे और मेरे सीस को चुमें ठीक उस पल की तरह जब हम भौतिक संसार से हो आध्यात्मिक संसार में एक हुआ करते । जब जब ठंडी हवा मेरे बदन को छू कर गुजरती तो अनायास ही मैं बड़े तेवर में उठ खड़ा होता और झुंझला कर बोल पड़ता तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई खैर तुम्हारे आंचल में मेरी कहानी अब कहां पर तुम्हें पता है प्रिय मैं इसी उम्मीद के धरातल में खुद को छल आज भी जिंदा हूँ तुम बिन । #kunalpoetry #restzone #yqdidi #yqbaba #love #kamila_writes #kunu