#OpenPoetry छोड़ो ना दोस्त क्या पाओगे हमसे झूठ बोल कर तुम तो हमेसा मुझे अंधकार मे रखते हो खुदा करे कि तुम उजाले में रहो अंधेरा तुम्हें नसीब ना हो फर्क़ सिर्फ इतना है सबने निचोड़ के देख लिया अब तुम भी देख लो मेरे दोस्त लेकिन तुमसे ये उम्मीद नहीं थीं Dosti Chodo na dost....