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मृगतृष्णा सा वो एक एहसास था, मान लो फिर भी वो बहुत

मृगतृष्णा सा वो एक एहसास था,
मान लो फिर भी वो बहुत खास था.. 

बिता हुआ हर लम्हा उनके साथ, 
कड़ी गर्मी मे जैसे बारिश की एक ठंडी फुहार था.. 

बिन मिले ही उनसे कभी ज़िन्दगी मे, 
बिछड़ने का डर मन मे बड़ा ही अनजान था.. 

ना रोका खुद के पास ना जाने दिआ खुद से दूर उस अनजान रिश्ते ने, 
थोड़ी धरती मगर वो मेरी और थोड़ा मैं उसका आसमान था..

"आभास" की दुनिया बसाये बैठ गया था मैं बैरागी, 
उस "मृगतृष्णा" मे ही कहीं बस गया जैसे मेरा सुखी संसार था..
 #मृगतृष्णा #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales #yqdada
मृगतृष्णा सा वो एक एहसास था,
मान लो फिर भी वो बहुत खास था.. 

बिता हुआ हर लम्हा उनके साथ, 
कड़ी गर्मी मे जैसे बारिश की एक ठंडी फुहार था.. 

बिन मिले ही उनसे कभी ज़िन्दगी मे, 
बिछड़ने का डर मन मे बड़ा ही अनजान था.. 

ना रोका खुद के पास ना जाने दिआ खुद से दूर उस अनजान रिश्ते ने, 
थोड़ी धरती मगर वो मेरी और थोड़ा मैं उसका आसमान था..

"आभास" की दुनिया बसाये बैठ गया था मैं बैरागी, 
उस "मृगतृष्णा" मे ही कहीं बस गया जैसे मेरा सुखी संसार था..
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