आँखों की जुबां भी पढ़ लेनी चाहिए, वो बेबसी आंखें कभी खामोश तो कभी चीखती चिल्लाती, कभी नजर बंद तो कभी कुछ कहती आंखे। सुलगती धुएं की तरह तो कभी बादल बन बरसती ये आंखे। सोचा था आज नहीं कल वो कभी तो पढ़ेगी मेरी आंखे। पर लाचार बेबस आंखे उनसे मिलते ही शर्म से झुक जाती ये आंखे। तो उनसे कहना चाहूंगा कभी इस अनकही जुबान की बातों को छोड़ ,जड़ा इन आंखों को भी पढ़ा किजये। कितना बेबस है आपसे बात करने के लिए ये आंखे। #nojoto #nojoto_team #shyari_dil_se #juban_ki_baten