बहुत गहरे उतरना है समंदर जीतना गर है हुआ है इश्क मौजों से किनारों की ज़रूरत क्या ! ख़ुदा तुम हो इबादत तुम तुम्हीं से है मेरी ज़न्नत तुम्हारा हुस्न ही गुलशन बहारों की ज़रूरत क्या ! मेरी हर रात रौशन हो अगर तू देख ले जी भर चमक जाए नज़र तेरी शरारों की ज़रूरत क्या ! ©malay_28 #ज़रूरत