White मेरा तुझे चाहना काफ़ी था, तेरा मेरा हो जाने की ज़रूरत न थी। मेरा तुझे बुलाना काफ़ी था, तेरे आने की ज़रूरत न थी। तू जिसके साथ था काफ़ी था, तेरा मेरा हो जाने की ज़रूरत न थी। जितना चला तालुक़ काफ़ी था, अब और निभाने की ज़रूरत न थी। जो कहा जो सुना सब काफ़ी था, बातों में बात उलझाने की ज़रूरत न थी। काफ़ी था वो प्यार वो वक़्त काफ़ी था, सदा के लिए पाने की ज़रूरत न थी। तेरा एक दफ़ा कह देना काफ़ी था, आगे कुछ समझाने की ज़रूरत न थी। जो दिया बस वही सब काफ़ी था, कोई वादा क़सम उठाने की ज़रूरत न थी। नेमत निशा के सब्र ओ शुक़्र काफ़ी था, किसीके आगे हाथ फैलाने की ज़रूरत न थी। ©Ritu Nisha #love_shayari deep poetry in urdu