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White मेरा तुझे चाहना काफ़ी था, तेरा मेरा हो जान

White  मेरा तुझे चाहना काफ़ी था, 
तेरा मेरा हो जाने की ज़रूरत न थी। 

मेरा तुझे बुलाना काफ़ी था, 
तेरे आने की ज़रूरत न थी।

तू जिसके साथ था काफ़ी था, 
तेरा मेरा हो जाने की ज़रूरत न थी।

जितना चला तालुक़ काफ़ी था, 
अब और निभाने की ज़रूरत न थी।

जो कहा जो सुना सब काफ़ी था, 
बातों में बात उलझाने की ज़रूरत न थी।

काफ़ी था वो प्यार वो वक़्त काफ़ी था, 
सदा के लिए पाने की ज़रूरत न थी।

तेरा एक दफ़ा कह देना काफ़ी था, 
आगे कुछ समझाने की ज़रूरत न थी।

जो दिया बस वही सब काफ़ी था, 
कोई वादा क़सम उठाने की ज़रूरत न थी।

नेमत निशा के सब्र ओ शुक़्र काफ़ी था, 
किसीके आगे हाथ फैलाने की ज़रूरत न थी।

©Ritu Nisha #love_shayari   deep poetry in urdu
White  मेरा तुझे चाहना काफ़ी था, 
तेरा मेरा हो जाने की ज़रूरत न थी। 

मेरा तुझे बुलाना काफ़ी था, 
तेरे आने की ज़रूरत न थी।

तू जिसके साथ था काफ़ी था, 
तेरा मेरा हो जाने की ज़रूरत न थी।

जितना चला तालुक़ काफ़ी था, 
अब और निभाने की ज़रूरत न थी।

जो कहा जो सुना सब काफ़ी था, 
बातों में बात उलझाने की ज़रूरत न थी।

काफ़ी था वो प्यार वो वक़्त काफ़ी था, 
सदा के लिए पाने की ज़रूरत न थी।

तेरा एक दफ़ा कह देना काफ़ी था, 
आगे कुछ समझाने की ज़रूरत न थी।

जो दिया बस वही सब काफ़ी था, 
कोई वादा क़सम उठाने की ज़रूरत न थी।

नेमत निशा के सब्र ओ शुक़्र काफ़ी था, 
किसीके आगे हाथ फैलाने की ज़रूरत न थी।

©Ritu Nisha #love_shayari   deep poetry in urdu
ritusharma9326

Ritu Nisha

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