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ख्वाहिशों के दरबार में, मुझे बिताने को एक रात मिल

ख्वाहिशों के दरबार में, 
मुझे बिताने को एक रात मिली। 
उनसे मुलाकतें कम हुई,
लेकिन यादें बहुत मिली।
वक़्त भी अहद-ए-वफ़ा हुई
एक-एक पल सौ पल के बराबर मिली।
उनसे बातें कम हुई,
लेकिन ज़्ज़बाते बहुत मिली ।
ख्वाहिशों के दरबार में 
मुझें बिताने को एक रात मिली .!

©Kumud Dhiraj kumar
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