मैं आज अकेला हूँ, पिस्तौल भी है दुःख भी है, तुम्हारे बाद में बैठे परिंदे उड़ जाएंगे। डराने वालों हमें देखने को तरसोगे, कभी न लौटेंगे एक रोज ऐसे उड़ जाएंगे। मैं आज अकेला हूँ, पिस्तौल भी है दुःख भी है, तुम्हारे बाद में बैठे परिंदे उड़ जाएंगे। डराने वालों हमें देखने को तरसोगे, कभी न लौटेंगे एक रोज ऐसे उड़ जाएंगे।