ए ज़िन्दगी क्या किसी रोज़ तेरी ख़ूबसूरत शक्ल में तुझसे फिर मुलाक़ात होगी ? अभी तो तू किसी घरेलू , काम से घिरी बीवी की तरह सी रोज़ मिले है मुझे कभी उलझनों को परे रख शोख़ हसीना सी बन के ज़माने से छुपते छुपाते एक पल को तो आ के मिल जा की तुझसे फिर से इश्क़ हो जाये musings - 15/12/18