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प्रेम का जो प्रसंग है तुम वही प्रारूप लगती हो, मोह

प्रेम का जो प्रसंग है तुम वही प्रारूप लगती हो,
मोहनी भी शरमाये तुम ऐसी रूप लगती हो।
गर्मी में तुम्हारा साथ शीतल छाँव के जैसा,
सर्दी में तो तुम बिल्कुल सुनहरी धूप लगती हो।

जगदीप सिंह 'दीप' #मुक्तक  Kulvinder Singh डॉ.अजय मिश्र Monika Sarika Srivastava Ekta Kumari
प्रेम का जो प्रसंग है तुम वही प्रारूप लगती हो,
मोहनी भी शरमाये तुम ऐसी रूप लगती हो।
गर्मी में तुम्हारा साथ शीतल छाँव के जैसा,
सर्दी में तो तुम बिल्कुल सुनहरी धूप लगती हो।

जगदीप सिंह 'दीप' #मुक्तक  Kulvinder Singh डॉ.अजय मिश्र Monika Sarika Srivastava Ekta Kumari