जब जब जिंदगी किसी और ने समझाई है कर्तव्यों की एक नई फेहरिस्त ही पकड़ाई है जब जब मांगे गए अधिकारों पर अधिकार उत्तर एक ही रहा अभी कर्तव्यों की बारी है, बाद में करेंगे विचार इससे सिर्फ एक सीख मिलती है आप भी ले लो श्रीमान अपने कर्तव्यों और अपने अधिकारों का स्वयं करो सम्मान और इसकी प्रतिक्रिया भी होगी यह भी रखना है ध्यान बस एक बार बिना अपराध बोध के जो कर लिया संधान आगे की परिपाटी स्वत: बदल जाएगी रखो इत्मीनान, रखो इत्मीनान जब जब जिंदगी किसी और ने समझाई है कर्तव्यों की एक नई फेहरिस्त ही पकड़ाई है जब जब मांगे गए अधिकारों पर अधिकार उत्तर एक ही रहा अभी कर्तव्यों की बारी है,