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बचपन की मीठी यादों में खोकर, मेरा मन आज भी बच्चे



बचपन की मीठी यादों में खोकर, मेरा मन आज भी बच्चे जैसा ही बन जाता है। 
याद करता है वह शैतानियाँ, वह नादानियाँ फिर उसी में खोकर रह जाता है।

दादी-नानी से किस्से-कहानियाँ सुनना, वो करना अठखेलियाँ बड़ा याद आता है।
दोस्तों की टोली संग मौज-मस्ती करना, समय बिताना, सताता है गुजरा जमाना।

भेदभाव रीति-रिवाजों से अलग, अपनी छोटी सी दुनियाँ में खोये रहना सुहाता था।
चेहरे पर मासूमियत थी, दिल में ना कोई बैर था, बस केवल दोस्ती निभाना आता था।
 😊बचपन सभी को प्यारा लगता हैI
😊चलो आज उस बचपन को जी लेते हैं, फिर से एक बार  I
😊तो देर किस बात की है I 
😊 सजा दो इस पृष्ठभूमि को अपनी कल्पनाओं सेI

कैप्शन ध्यानपूर्वक पढ़ें 

.आप सभी का काव्य संग्रह मंच पर स्वागत है।


बचपन की मीठी यादों में खोकर, मेरा मन आज भी बच्चे जैसा ही बन जाता है। 
याद करता है वह शैतानियाँ, वह नादानियाँ फिर उसी में खोकर रह जाता है।

दादी-नानी से किस्से-कहानियाँ सुनना, वो करना अठखेलियाँ बड़ा याद आता है।
दोस्तों की टोली संग मौज-मस्ती करना, समय बिताना, सताता है गुजरा जमाना।

भेदभाव रीति-रिवाजों से अलग, अपनी छोटी सी दुनियाँ में खोये रहना सुहाता था।
चेहरे पर मासूमियत थी, दिल में ना कोई बैर था, बस केवल दोस्ती निभाना आता था।
 😊बचपन सभी को प्यारा लगता हैI
😊चलो आज उस बचपन को जी लेते हैं, फिर से एक बार  I
😊तो देर किस बात की है I 
😊 सजा दो इस पृष्ठभूमि को अपनी कल्पनाओं सेI

कैप्शन ध्यानपूर्वक पढ़ें 

.आप सभी का काव्य संग्रह मंच पर स्वागत है।