आशाएं आशाओं में उलझा मन,कौन कहता मन स्वच्छंद, आशा रखते जीवन से,मन में आशाएं करती द्वंद। टिकी हुई निगाहें निराशा के भी घोर अन्धकार में, मौन हो करे शान्ति की आस शोर के हाहाकार में। आशाएं होती अनन्त होता नही कभी इनका अंत, कभी नहीं होता इनका अन्त,ग्रसित हो जाते संत। सकारात्मक सोच देती मानव जीवन को आधार, बिना आशा के मानव जीवन बन जाता निराधार। JP lodhi #Hop