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कुछ अनकही.... अपनी यादों की तिजोर

 कुछ अनकही....                 अपनी यादों की तिजोरी कभी खोल कर देखो पिछली भूली हुई सब बातें आँखों के सामने आने लगती हैं। कुछ यार दोस्त जो अब साथ नहीं उनकी बातें बचपन में बिताए हुए लम्हे सब आँखों के सामने घूमने लगते हैं।
लगता है मानो हम उसी दुनिया में वापस चले गए हो कुछ पुरानी यादें कुछ सामान जो हमारे पास पड़ा रहता है केवल यादों के रूप में। कभी उसे यूँ ही खँगालें, उस खुशबू को महसूस करें, जो दफ़न है कई परतों के अंदर।

कुछ अप्रत्याशित घटनाएँ जो हमारे साथ गुज़री हुई होती हैं, जो शायद नहीं होनी चाहिए, कभी फुर्सत मे
 कुछ अनकही....                 अपनी यादों की तिजोरी कभी खोल कर देखो पिछली भूली हुई सब बातें आँखों के सामने आने लगती हैं। कुछ यार दोस्त जो अब साथ नहीं उनकी बातें बचपन में बिताए हुए लम्हे सब आँखों के सामने घूमने लगते हैं।
लगता है मानो हम उसी दुनिया में वापस चले गए हो कुछ पुरानी यादें कुछ सामान जो हमारे पास पड़ा रहता है केवल यादों के रूप में। कभी उसे यूँ ही खँगालें, उस खुशबू को महसूस करें, जो दफ़न है कई परतों के अंदर।

कुछ अप्रत्याशित घटनाएँ जो हमारे साथ गुज़री हुई होती हैं, जो शायद नहीं होनी चाहिए, कभी फुर्सत मे

अपनी यादों की तिजोरी कभी खोल कर देखो पिछली भूली हुई सब बातें आँखों के सामने आने लगती हैं। कुछ यार दोस्त जो अब साथ नहीं उनकी बातें बचपन में बिताए हुए लम्हे सब आँखों के सामने घूमने लगते हैं। लगता है मानो हम उसी दुनिया में वापस चले गए हो कुछ पुरानी यादें कुछ सामान जो हमारे पास पड़ा रहता है केवल यादों के रूप में। कभी उसे यूँ ही खँगालें, उस खुशबू को महसूस करें, जो दफ़न है कई परतों के अंदर। कुछ अप्रत्याशित घटनाएँ जो हमारे साथ गुज़री हुई होती हैं, जो शायद नहीं होनी चाहिए, कभी फुर्सत मे #अनाम #अनाम_ख़्याल #कुछ_अनकही