आज का काव्य हलचल आज का शब्द आज का विचार सोशल मीडिया मेरे अल्फ़ाज़ किताब समीक्षा युवाओं की बात वीडियो रचना भेजिए Hindi News › Kavya › Kavita › World Water Day 2024 alok dhanwa ki kavita sirf pani ki rat hai विज्ञापन Hindi Kavita: आलोक धन्वा की कविता- सिर्फ़ पानी की रात है Kavya Desk काव्य डेस्क कविता Kavita आदमी तो आदमी मैं तो पानी के बारे में भी सोचता था कि पानी को भारत में बसना सिखाऊँगा सोचता था पानी होगा आसान पूरब जैसा पुआल के टोप जैसा मोम की रोशनी जैसा गोधूलि में उस पार तक मुश्किल से दिखाई देगा और एक ऐसे देश में भटकाएगा जिसे अभी नक़्शे में आना है ऊँचाई पर जाकर फूल रही लतर जैसे उठती रही हवा में नामालूम गुंबद तक यह मिट्टी के घड़े में भरा रहेगा जब भी मुझे प्यास लगेगी शरद में हो जाएगा और भी पतला साफ़ और धीमा किनारे पर उगे पेड़ की छाया में सोचता था यह सिर्फ़ शरीर के ही काम नहीं आएगा जो रात हमने नाव पर जगकर गुज़ारी क्या उस रात पानी सिर्फ़ शरीर तक आकर लौटता रहा? ©@BeingAdilKhan #bicycleride Meri Sakhi Shri Radha Rani