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एक कहानी -1 उपेक्षा से प्रतीक्षा तक-2 विक्रमजीत अप

एक कहानी -1
उपेक्षा से प्रतीक्षा तक-2
विक्रमजीत अपने आॅफिस मे पहुँच कर काम में व्यस्त 
हो गए, कब लंच ब्रेक हुआ उन्हें पता ही नही चला। किन्तु 
लंच ब्रेक में सहसा उनका ध्यान पत्नी मनिमाला की रात 
की बेचैन स्थिति की ओर चला  गया । आज दूसरी पारी में 
कोई काम भी शेष नहीं था। जो कुछ था वह पूरा कर चुके थे।
 सोचते सोचते विक्रमजीत अतीत की यादों मे खो चुके थे।
सन् 1980 मे विक्रमजीत का पहला विवाह हुआ था।
घर मे माँ अम्बिका, पिता अमरजीत के साथ पहली 
पत्नी सरोजनी बहुत खुश थी। विवाह के सही 2 वर्ष बाद 
पुत्री दिव्यश्री का नव आगमन हुआ। घर मे बस सुख समृद्धि 
प्रसन्नता का माहौल था। 
आखिर 2 दिसंबर, 1982 का वह भयानक रात आ ही गयी।
अमावस की रात का सन्नाटा था, लाईट जा चुकी थी।
तभी बैडरूम से किसी के गिरने की आवाज आई।
विक्रमजीत बदहवास से बैडरूम की ओर दौङे।
किन्तु जो देखा उसे देख कर सन्न रह गए ।
क्योंकि------
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शेष 
उपेक्षा से प्रतीक्षा तक --3

©Pushpendra Pankaj
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उपेक्षा से प्रतीक्षा तक -2

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