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नवसंचित मन आशांकित है हर दैत्य दमन से वंचित है ह

नवसंचित मन आशांकित है 
हर दैत्य दमन से वंचित है 
हर कालनेमि इस भारत का 
अब राजनीति से अभिसिञ्चित है
 माताओं के शेर यहां खुद के लहू से रंजित है 
हर पापी दुष्टाचारी तो खादी वस्त्रों से सज्जित है 
अब राम नाम का उच्चारन ज्यादा हिंसा में होता है 
क्या हुआ यहां के लोगों को पत्थर भी इन पर रोता है 
हर बहन बेटियां भारत की अत्याचारों से आतांकित है 
हर शासन ही दुष्शासन के चीर हरण से खंडित है 
रक्षा के सारे स्रोत यहां के भक्षक को ही आवंटित है 
हर योग्य और निर्दोष यहां प्रति छड़ प्रति पल दंडित है 
दोषों की सारी पोथी पढ़ अत्याचारी ही पंडित है 
नवसंचित मन आशंकित है 
हर दैत्य दमन से वंचित है हर दैत्य दमन से वंचित है
नवसंचित मन आशांकित है 
हर दैत्य दमन से वंचित है 
हर कालनेमि इस भारत का 
अब राजनीति से अभिसिञ्चित है
 माताओं के शेर यहां खुद के लहू से रंजित है 
हर पापी दुष्टाचारी तो खादी वस्त्रों से सज्जित है 
अब राम नाम का उच्चारन ज्यादा हिंसा में होता है 
क्या हुआ यहां के लोगों को पत्थर भी इन पर रोता है 
हर बहन बेटियां भारत की अत्याचारों से आतांकित है 
हर शासन ही दुष्शासन के चीर हरण से खंडित है 
रक्षा के सारे स्रोत यहां के भक्षक को ही आवंटित है 
हर योग्य और निर्दोष यहां प्रति छड़ प्रति पल दंडित है 
दोषों की सारी पोथी पढ़ अत्याचारी ही पंडित है 
नवसंचित मन आशंकित है 
हर दैत्य दमन से वंचित है हर दैत्य दमन से वंचित है