लूट मची है हर मोड़ पर, दरिंदों ने पैर जताया है। ना जाने बही कौन हवाएं, इंसानियत सर झुकाया है। अमीर ढाक जताए बैठे हैं, गरीब रोटी का है निवाला। अफसर साही बरस रही हैं, ना है कोई गरीब का रखवाला। @ SHYAM writes. ©Radhe Shyam #Exploration