अपनी नाकामी छुपाते,व्यतीत हुए दिन सारे अब बीच चौराहे हो खड़े,गिन रहे सूरज सारे अपनी नाकामी छुपाते,झूठ भर गए मन हमारे अब सच कड़वा लगे,झूठ हो रहे नौ दो ग्यारह अपनी नाकामी छुपाते,विश्वास हुए पुच्छल तारे अब मित्र,परिवार स्वार्थी लगे,घाती भी दुत्कारे अपनी नाकामी छुपाते,धर्म-कर्म हो गये सहारे अब कर्म की रोटी पचे ना,मुफ्त की रोटी बिगाड़े अवगुण के अप्रत्यक्ष प्रभाव! अपनी नाकामी छुपाते ख़ुद को कामयाब बताते #नाकामी #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #विप्रणु #yqdidi #life #poetry