ऐ खुदा! इस हुस्न पर ही क्यों तेरी ये रहमत बरसी है, हुस्न-ए-यार का जलवा देखने को हर आँख तरसी है। खुदाया खैर करें उन सब आशिकों के दिल-ओ-जान पर, ईमान न बदलने पाए उनके, उनकी नज़रों के अरमान पर। कैसी ये क़यामत है जो तूने इस कदर खूबसूरत बना दी है, डोलने लगे दिल आशिकों के और उनकी जान की आफत है। बचा कर रखे हुस्न-ए-अदा,खुदा इन दिल फेंक आशिकों से, बेईमान होने लगें हैं दिल सबके देखकर इस नजाकत को। -"Ek Soch" 🎀 Challenge-419 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 पिन पोस्ट 📌 पर दिए गए नियमों एवं निर्देशों को ध्यान में रखते हुए अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए। 🎀 कोरा काग़ज़ समूह की पोस्ट नोटिफ़िकेशन्स ज़रूर 🔔 ON रखिए। जिससे आपको कोरा काग़ज़ पर होने वाली प्रतियोगिताओं की जानकारी मिलती रहे। 🎀 कोरा काग़ज़ पर प्रतिदिन दोपहर 3 बजे "मस्ती की पाठशाला" होती है और शाम 5 बजे "उर्दू की पाठशाला" होती है। आना न भूलना।