ये माना इतना बड़ा नहीं हूं। मिटाने से पर मिटा नहीं हूं। ऐ दौर-ए-नफ़रत के हुक्मरां सुन, मैं तेरे आगे झुका नहीं हूं! तेरे सितम की है इंतेहा पर, ज़रा भी तुझसे डरा नहीं हूं! न ख़ुश्क पत्ता समझना मुझको, अभी ज़मीं पर गिरा नहीं हूं। न इतना भी मुझपे फूंक मारो, हैं मुझमें शोले, बुझा नहीं हूं! जहां वो चाहेगा भेज देगा? उसे कहो मैं हवा नहीं हूं! कलाम, अब्दुल हमीद बिस्मिल! तू पूछ मुझसे मैं क्या नहीं हूं! #yqaliem #CABprotest #againstNRC #Daur_e_nafrat #hukmran #jamiaprotest #AMUbrutality #inqlab