बात चली है तो ये बात चलो खत्म करें जब तुम्हें गर्ज़ नहीं जज़्बात चलो खत्म करें क्यूँ ज़माने से इतना खौफ खाऐ रहते हो इस मुआशरे के रवायात चलो खत्म करें सहमे सहमे हो रुसवाई का है खौफ तुम्हें ये मंफी से एहसासत चलो खत्म करें क्यूँ ज़माने की फिक्र में मुझसे दूर हो तुम ये आपसी इखतलाफात चलो खत्म करें साफगोई हो और मज़बूत इरादा रखें फिर ये बेमाने एहतियात चलो खत्म करें समर गर इश्क में दामन नहीं जला सकते तो ये सतही ताल्लुकात चलो खत्म करें