उम्मीदें बहुत लगा ली दिल ने और वो कुछ कह न सके, मंज़िल का करके वादा, सफ़र में साथ-साथ रह न सके। हमें तो आदत है तन्हाई की, उनसे ही मिली रुस्वाई की, बात सागर सी ख़ुशी की और दो बूँद दर्द में बह न सके। ख़ैर! ख़ुदगर्ज़ी का यही क़ायदा, मिलता ही रहे फ़ायदा, दुनियादारी की रस्म में, बेहिसाब चाहत वो सह न सके। दिल-ज़मीं में हिस्सा नहीं, बात आसमाँ के सितारों की, मेरे हिस्से की रौशनी के लिए कभी वो बन मह न सके। काश! दिल को उनकी बात समझना ही आ जाता 'धुन', सबकुछ लुटाकर भी तो अपने लिए पा एक गह न सके। मह- Moon, गह- Place Rest Zone आज का शब्द- 'आसमाँ' #rzmph #rzmph83 #आसमाँ #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #poetry #rzhindi