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इश्क का जिसको ख्वाब आ जाता है, समझो उसका वक़्त खरा

इश्क का जिसको ख्वाब आ जाता है,
समझो उसका वक़्त खराब आ जाता है,
महबूब आये या न आये,
पर तारे गिनने का हिसाब आ जाता है।

©shailendra chaudhary
  @शायरी और गजल
@कविता

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