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तुमसे दूर कैसे रहूँ मैं कान्हा, तुम बिन मेरा गुज़ा

तुमसे दूर कैसे रहूँ मैं कान्हा, तुम बिन मेरा गुज़ारा नहीं। 
सोचती हूँ तुमको मैं हर क्षण, तुम मुझ में हो शामिल कहीं।।
रहती हूँ कितनी मैं बेचैन, तुम्हारे दरस को कितने प्यासे हैं नैन।
नैनों से झर-झर बरसते हैं आँसू, थमने का नाम ये लेते नहीं।।



                         🧡🍃  "लेखन संगी..."  🍃🧡





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तुमसे दूर कैसे रहूँ मैं कान्हा, तुम बिन मेरा गुज़ारा नहीं। 
सोचती हूँ तुमको मैं हर क्षण, तुम मुझ में हो शामिल कहीं।।
रहती हूँ कितनी मैं बेचैन, तुम्हारे दरस को कितने प्यासे हैं नैन।
नैनों से झर-झर बरसते हैं आँसू, थमने का नाम ये लेते नहीं।।



                         🧡🍃  "लेखन संगी..."  🍃🧡





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poonamsuyal2290

Poonam Suyal

Bronze Star
Growing Creator