बात उलझी सी लगती है मगर तुम यूँ कहना, लोग कुछ भी कहें तुम आग को पानी कहना, जख्म खाए जो दिल ने प्यार की निशानी कहना, दर्द मिले काँटों से फूलों की जुवानी कहना, बुझाये आग आग से जो उस आग को जवानी कहना, मिटाकर प्यास जो रहे प्यासी उसे दीवानी कहना, जिसे पीकर होश हो बाकी उस मय को पानी कहना, बहके जो आँखों से पी के उसे हुस्न की मेहरवानी कहना। ©@BeingAdilKhan #mountainsnearme ADiL KHaN (शहज़ादा)