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अथाह समुद्र जाने रहता है किस सोच में गुम लहरें बहत

अथाह समुद्र जाने रहता है किस सोच में गुम
लहरें बहतीं तो हैं पर लगता है जैसे ठहरी हैं

जाने किस किस के आँसुओं को संजोये बैठा है
गुमसुम ठहरा ठहरा है
खारा हो गया है पूरा का पूरा
अथाह होके भी क्यूँ लगता है ये सागर अधूरा

©Nirupa Kumari
  #sagar #adhurapan