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23 तारीख सन 31मै या नीम टेक दी आजादी की अंग्रेजा क

23 तारीख सन 31मै या नीम टेक दी आजादी की
अंग्रेजा के भी जच गी थी या आई घड़ी बर्बादी की

जब तख्ते पे लावन लागे जय हिन्द जय हिन्द होरी थी
देख्या लाल खुसी तै चहरा उनकी गर्दन नीची होरी थी
आख़री इच्छा पूछन लागे जब गले मिलन की बारी थी
वो जलाद भी लाग्या काम्पन जिसकी ना थी बान मुनादी की

तेरी मौत का जीकर सुना जब हिंदुस्तान यों जाग पड़ा
लेन न बदला तेरी मौत का बचा बचा त्यार खड़ा
इन बईमान अंग्रेजा का भगत सिंह यों काल बनया
सबके दिल मै जिंदा सै तू क्यों बात करा बर्बादी की

छोटी सी उम्र मै भगत सिंह ने सबके दिल पे राज करा
तेरी माता विद्या ने भी तेरे मरण प राज करया
जमा पड़ा था खून जो पहले तेरी मौत ने उबाल भरा
तेरी बदौलत लेरे सा हम एक एक सांस आजादी की

कमला मैडम प्रमोद बागड़ी तेरे गीता के फेन होय
तने दोबारा देखन खातर तरस PK के नैन गए
सुनले विपदा भारत माँ की भारत माँ की विपदा सुनले
या कर रही फेर पुकार तन............

23तारीख सन 31 या नीम टेक दी आजादी की
अंग्रेजा के भी जच गी थी या आई घड़ी बर्बादी की

प्रमोद बागड़ी

©parmod bagri
  आजादी के पर्व पर विशेष
parmodbagri1655

parmod bagri

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आजादी के पर्व पर विशेष #Poetry

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