।।शून्यं तत्वं भयोअपि नश्यति वस्तुधर्मत्वात् विनाशस्य।। परमात्मा पूर्ण रूप है इसी में से सृष्टि निकलती है फिर भी उसका स्वरूप पूर्ण ही बना रहता है और सृष्टि के अन्त में प्रलय होने पर भी सृष्टि इसी में विलीन हो जाती है। उस समय भी वह पूर्ण रूप ही बना रहता है। परमेश्वर