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कोई सुनहरे सपनो के संग आँखे बन्द नींद को जाता हैं,

कोई सुनहरे सपनो के संग आँखे बन्द नींद को जाता हैं, 
कोई अपने गमो के दर्द में आँखे नम नींद को पाता हैं, 
मगर नींद तो नींद है साहब वो खुले
आँखो को जीवित रहते कहाँ भाता हैं , 
खुले आँखों के संग नींद तो मरने के बाद ही आता है! #निन्द की दास्ता निन्द की जुबानी...
कोई सुनहरे सपनो के संग आँखे बन्द नींद को जाता हैं, 
कोई अपने गमो के दर्द में आँखे नम नींद को पाता हैं, 
मगर नींद तो नींद है साहब वो खुले
आँखो को जीवित रहते कहाँ भाता हैं , 
खुले आँखों के संग नींद तो मरने के बाद ही आता है! #निन्द की दास्ता निन्द की जुबानी...

#निन्द की दास्ता निन्द की जुबानी... #विचार