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हुस्न ढल गया गुरूर अभी बाकी है , नशा


 हुस्न ढल गया गुरूर अभी बाकी है ,
           नशा उतर गया सरूर अभी बाकी है..!
जवानी ने दी दस्तक और चली गई
             जेहन में वही फितूर अभी बाकी है..!
 क्योंकि ...!!!
   जिंदा रहना है तो शौक भी जिंदा रखिए
  उम्र का क्या है यह तो वक्त के साथ ढल जाती है..!!

©प्रकृति प्रेमी
  #कविता #फेसबुक

कविता फेसबुक

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