ग़म से दिल का रिश्ता कैसा अब किस ग़म की बारी है.. इक छोटा-सा दिल है जिस पर सब की दावेदारी है।। शाम सुनहरे पंख लगाकर उड़ जाती है रोज़ कहीं.. रात की आंखों में तारीकी, सदियों की बेदारी है।। जी करता है आज फ़िज़ाओं में जाकर परवाज़ करें.. आज ख़यालों ने बादल पर इक तस्वीर उतारी है।। ग़मों ने घुंघरू बांध लिए हैं उम्मीदों के धागों से.. मायूसी से उम्मीदों की कैसी साझेदारी है! एहसासों के चिलमन से तकता रहता है दर्द कोई.. एक हि दिल से जैसे इसको उठने में दुश्वारी है। मंज़िल पे पहुंचे न पहुंचे दिल क्यूं परेशां होता है.. ये मील के पत्थर जाने हैं क़दमों की चाप हमारी है।। लम्हों में हो जाए फ़ैसला ऐसा कैसे मुमकिन है.. सदियों से हक़ और बातिल के बीच कशमकश जारी है।। #yqaliem #yqbhaijan #gham_gham #dil #ummidein #manzil #haq #baatil बेदारी - awakefulness तारीकी - darkness चिलमन - curtain हक़। - Truth बातिल - False