बेहिसाब हसरते थी दिल मै तुमसे मिलने की आस थी तुमसे मिलने की कोशीश करता था मै लेकीन तुम सपनो मै भी नही आती थी क्या गलती थी मेरी जो दिल को ठुकरा दिया जो खाब देखा था मीलकर उसे तोड दिया प्यार ही तो करता था मै कोई गुन्हा तो नही किया था एक साथ ही तो मांगा था तुम्हारा कोई खजाना तो नही मांगा था प्यार नही ना सही दोस्ती की आस कर सकता हु तुमसे पर शायद ये दोस्ती भी मेरे नशीब मे नही अब बस यही दुआ करता हु तु खुश रहे जिंदगी मै कभी देखा जो मीलकर सपना हमने अब ओ पुरा कोई ओर करे 👉🏻 प्रतियोगिता- 284 🙂आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा शब्द है 👉🏻🌹"बेहिसाब हसरतें "🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I