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माँ के पैरों में जन्नत ****************** माँ के प

माँ के पैरों में जन्नत
******************
माँ के पैरों में होती जन्नत है,
पूरी करती माँ हमारी मन्नत है,
छू कर माँ के पैरों को ,
मिलती हमें शोहरत है।
उम्र के हर मोड़ पर,
रहती माँ की रहमत है,
जुड़ा है जो माँ के पैरों से,
रूह भी उसकी रहती सलामत है।

बचपन हो या हो फिर जवानी,
बदलती नही कभी माँ की दुआओं की कहानी,
होती नही कभी भी माँ की दुआओं को फुर्सत है,
सायद इसीलिए होती है माँ की पैरों में जन्नत है ।
आती चाहे कितनी भी माँ पर कोई आफत,
देख माँ हमारें चेहरे को मुस्कुराती है,
और जा कर फिर कहीं अकेले में,
माँ आँखों को अपने खूब रुलाती है ।

हम सफल हो या हो फिर असफल,
हर हालातों में माँ हमें गले अपने लगाती है,
क्या कहूँ मैं माँ के बारे में,
माँ तो हमेशा ही पीठ थपथपाती है ।
खाली पेट ना कहीं जाने देती,
भूखे पेट ना कभी सोने देती,
सुबह हो या हो फिर चाहे शाम,
चूल्हें के पास माँ खुद को तपाती है।

झाड़ू,बर्तन,पोछा चाहे कुछ भी हो,
किसी भी काम से माँ जी नही चुराती है,
देखा है मैंने माँ को ऐसे भी,
कड़ी धूप में माँ खुद को जलाती है ।
नींद ना आती है जो कभी हमें,
बीते रात माँ लोरी गुनगुनाती है,
देख जरा सी तकलीफों में हमें,
माँ सीने से लगा हमें सुलाती है ।

माँ के पैरों में होती जन्नत है,
पूरी करती माँ हमारी मन्नत है,
छू कर माँ के पैरों को ,
मिलती हमें शोहरत है।
माँ के पैरों में होती जन्नत है...
माँ के पैरों में होती जन्नत है...

©Abhinay kr. माँ के पैरों में जन्नत..

#dryleaf
माँ के पैरों में जन्नत
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माँ के पैरों में होती जन्नत है,
पूरी करती माँ हमारी मन्नत है,
छू कर माँ के पैरों को ,
मिलती हमें शोहरत है।
उम्र के हर मोड़ पर,
रहती माँ की रहमत है,
जुड़ा है जो माँ के पैरों से,
रूह भी उसकी रहती सलामत है।

बचपन हो या हो फिर जवानी,
बदलती नही कभी माँ की दुआओं की कहानी,
होती नही कभी भी माँ की दुआओं को फुर्सत है,
सायद इसीलिए होती है माँ की पैरों में जन्नत है ।
आती चाहे कितनी भी माँ पर कोई आफत,
देख माँ हमारें चेहरे को मुस्कुराती है,
और जा कर फिर कहीं अकेले में,
माँ आँखों को अपने खूब रुलाती है ।

हम सफल हो या हो फिर असफल,
हर हालातों में माँ हमें गले अपने लगाती है,
क्या कहूँ मैं माँ के बारे में,
माँ तो हमेशा ही पीठ थपथपाती है ।
खाली पेट ना कहीं जाने देती,
भूखे पेट ना कभी सोने देती,
सुबह हो या हो फिर चाहे शाम,
चूल्हें के पास माँ खुद को तपाती है।

झाड़ू,बर्तन,पोछा चाहे कुछ भी हो,
किसी भी काम से माँ जी नही चुराती है,
देखा है मैंने माँ को ऐसे भी,
कड़ी धूप में माँ खुद को जलाती है ।
नींद ना आती है जो कभी हमें,
बीते रात माँ लोरी गुनगुनाती है,
देख जरा सी तकलीफों में हमें,
माँ सीने से लगा हमें सुलाती है ।

माँ के पैरों में होती जन्नत है,
पूरी करती माँ हमारी मन्नत है,
छू कर माँ के पैरों को ,
मिलती हमें शोहरत है।
माँ के पैरों में होती जन्नत है...
माँ के पैरों में होती जन्नत है...

©Abhinay kr. माँ के पैरों में जन्नत..

#dryleaf
abhinaykumar3046

Abhi

Bronze Star
New Creator

माँ के पैरों में जन्नत.. #dryleaf