अपने आप को सूर्य के समान ओजस्वी बनाओ ।उसकी प्रखर किरणों की तरह अपने विचार को तेजस्विता की लपटों में निखारने का हुनर सीख लो फिर चाँद और उसकी संपूर्ण चाँदनी तुम्हारी अनुगामिनी बन जाएगी। स्मरण रखो, चाँद सूर्य से है, सूर्य चाँद से नहीं। फिर जिस चाँद के पीछे तुम चकोर बने भागते रहते हो और वह तुम्हें कौड़ी के भाव भी नहीं पूछता, वही चाँद तुम्हारी एक झलक पाने के लिए लालायित हो उठेगा। बस स्वयं को कभी कमजोर मत पड़ने देना। अपनी साँसों को सदैव कर्मों से स्पन्दित करते रहना। फिर तुम नज़ीर बन जाओगे, इस कायनात के लिए। Self esteem