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उस बस्ती में घोर उदासी टूटा था कल काल जहाँ, सिसक र

उस बस्ती में घोर उदासी टूटा था कल काल जहाँ,
सिसक रही  साँसों की वीणा आधी रात में सुनो वहाँ।
अग्नि के विकराल रूप में समा गई कई जानें थीं 
सपनों का संसार जहाँ था,आज बना शमशान वहाँ।
#सुनीता बिश्नोलिया
उस बस्ती में घोर उदासी टूटा था कल काल जहाँ,
सिसक रही  साँसों की वीणा आधी रात में सुनो वहाँ।
अग्नि के विकराल रूप में समा गई कई जानें थीं 
सपनों का संसार जहाँ था,आज बना शमशान वहाँ।
#सुनीता बिश्नोलिया