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अँधेरे में बैठे हो, यूँ रौसनी की चाह लिए फिर दिया

अँधेरे में बैठे हो, यूँ रौसनी की चाह लिए
फिर दिया जला कर तेरा वो तूफ़ान बुलाना...! तुझसे सुरु-तुझपे ख़तम।
अँधेरे में बैठे हो, यूँ रौसनी की चाह लिए
फिर दिया जला कर तेरा वो तूफ़ान बुलाना...! तुझसे सुरु-तुझपे ख़तम।