बड़ी खूबसूरत हो तुम ये कहे कैसे....... तुम्हारे घर का पता मुझे मालूम नहीं, रहती हो मेरे दिल मे ये तुमसे कहें कैसे....... तुम्हे बस देखता रहता हूँ, बात करने से भी डरता हूँ तुमसे....... अपनी मोहब्बत का इजहार तुमसे करें कैसे....... ये एकतरफ़ा मोहब्बत को दोतरफ़ा करें कैसे....... करुँ मै इजहार, इनकार न कर दो,इस भ्रम को तोड़े कैसे....... है तुमसे मोहब्बत ये ज़माने से कहें कैसे....... तुम्हे मोहब्बत के वादों मे बांधे कैसे.......... सुना है नाम संध्या है तुम्हारा, अभी तो सूरज डूब चूका है....... जिंदगी का सबेरा तुम्हे बनाये कैसे....... तुमसे मोहब्बत पुरानी है मेरी...... जा रही हो छोड़कर तुम, तुम बिन जिया जाए कैसे........ #aznabi_36 ©Writer Vikas aznabi #8LinePoet