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तस्बीह के दानों में खुदा कहां ढूॅढते हो नादान हो,

तस्बीह के दानों में खुदा कहां ढूॅढते हो 
नादान हो,नहीं जहाँ खुदा वहाँ ढूॅढते हो। 

न कोशिश कभी की तलाशने की दिल के अंदर 
दैरो हरम कभी सहरा दरम्यां ढूॅढते हो। 

रखते हो नफरत खुदा के बंदों से दिलों मे 
फिर किस लिए तुम खुदा को ऐ मियां ढूॅढते हो। 

खुदा की ज़मी पर ज़मी के लिए रोज झगड़े 
अब झगड़ों के लिए और आसमां ढूॅढते हो। 

घर तेरा भी जल गया लगाई आग से तेरी 
अब रो के किसलिए अपना आशियाँ ढूॅढते हो। 

जो खून चूस मुफलिस के बने अमीरे-शहर 
रिहान जख्मी उन्हीं मे तुम मेहरबाॅ ढूॅढते हो।

©Rihan khan #feelings Pooja Udeshi ANOOP PANDEY Divya pandey@ rasmi Nikita Garg
तस्बीह के दानों में खुदा कहां ढूॅढते हो 
नादान हो,नहीं जहाँ खुदा वहाँ ढूॅढते हो। 

न कोशिश कभी की तलाशने की दिल के अंदर 
दैरो हरम कभी सहरा दरम्यां ढूॅढते हो। 

रखते हो नफरत खुदा के बंदों से दिलों मे 
फिर किस लिए तुम खुदा को ऐ मियां ढूॅढते हो। 

खुदा की ज़मी पर ज़मी के लिए रोज झगड़े 
अब झगड़ों के लिए और आसमां ढूॅढते हो। 

घर तेरा भी जल गया लगाई आग से तेरी 
अब रो के किसलिए अपना आशियाँ ढूॅढते हो। 

जो खून चूस मुफलिस के बने अमीरे-शहर 
रिहान जख्मी उन्हीं मे तुम मेहरबाॅ ढूॅढते हो।

©Rihan khan #feelings Pooja Udeshi ANOOP PANDEY Divya pandey@ rasmi Nikita Garg
shahunkhan5202

Rihan khan

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