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White कविता का शीर्षक जनवरी की हसरतें और फरवरी का

White कविता का शीर्षक
जनवरी की हसरतें और फरवरी का इज़हार

जनवरी रूठी, ख्वाबों को अधूरा छोड़ गई,
हसरतें जम गईं, खुशियां आँधियों में उड़ गईं।
एक लम्हा भी ना पिघला, चाहत की आग में,
सर्द रातों में बस, तन्हाइयाँ रोकर घुमड़ गईं।

फरवरी आई, मोहब्बत का पैगाम लिए,
पर दिल अब भी उदासी की शाम लिए।
इज़हार-ए-इश्क़ का मौसम तो आया,
मगर होठों पर ठहर गया, एक नाम लिए।

जो लम्हे जनवरी के थे, अब यादों में हैं,
जिनसे गुलाब खिले, वो ही बर्बादों में हैं।
कह दो फरवरी से, ज़रा धीरे चले,
इश्क़ के ज़ख्म अभी तक फरियादों में हैं।

– संतोष तात्या 
    शोधार्थी

©tatya luciferin #love_shayari 
#tatya
#तात्या 
#संतोषतात्या
#tatyaluciferin
White कविता का शीर्षक
जनवरी की हसरतें और फरवरी का इज़हार

जनवरी रूठी, ख्वाबों को अधूरा छोड़ गई,
हसरतें जम गईं, खुशियां आँधियों में उड़ गईं।
एक लम्हा भी ना पिघला, चाहत की आग में,
सर्द रातों में बस, तन्हाइयाँ रोकर घुमड़ गईं।

फरवरी आई, मोहब्बत का पैगाम लिए,
पर दिल अब भी उदासी की शाम लिए।
इज़हार-ए-इश्क़ का मौसम तो आया,
मगर होठों पर ठहर गया, एक नाम लिए।

जो लम्हे जनवरी के थे, अब यादों में हैं,
जिनसे गुलाब खिले, वो ही बर्बादों में हैं।
कह दो फरवरी से, ज़रा धीरे चले,
इश्क़ के ज़ख्म अभी तक फरियादों में हैं।

– संतोष तात्या 
    शोधार्थी

©tatya luciferin #love_shayari 
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#तात्या 
#संतोषतात्या
#tatyaluciferin